Nurse ‘raped, murdered’ while heading home from Uttarakhand hospital, one arrested

उसे 31 जुलाई को लापता घोषित किया गया था, जब वह पिछली रात घर नहीं लौटी। 8 अगस्त को, उसका शव उत्तर प्रदेश के उसके गांव में एक खाली प्लॉट पर पाया गया।

उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के एक निजी अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स का शव उत्तर प्रदेश के रामपुर

जिले के उसके गांव से मिलने के एक हफ्ते बाद, बुधवार को एक दिहाड़ी मजदूर को गिरफ्तार किया गया।

पुलिस के अनुसार, आरोपी, जिसकेलीकी पहचान बरेली के धर्मेंद्र कुमार के रूप में हुई है, ने कथित तौर पर 30 जुलाई को अस्पताल में ड्यूटी के बाद जब वह अ घर जा रही थी, तब उसका रास्ता रोककर उसके साथ यौन शोषण किया और उसकी हत्या कर दी।

अगले दिन, 31 जुलाई को, नर्स की बहन ने उसकी घर न लौटने पर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

एक हफ्ते बाद, उसका शव एक खाली प्लॉट में मिला।

ऊधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजुनाथ टी.सी. ने कहा, “30 जुलाई को हमें गुमशुदगी की रिपोर्ट मिली… जब हमने उसकी तलाश की, तो हमें पता चला कि वह उत्तर प्रदेश में अपने गांव तक पहुंच गई थी (हमले से पहले)। 8 अगस्त को, हमें उस इलाके में झाड़ियों से एक महिला का शव मिलने की सूचना मिली। जल्द ही यह पुष्टि हो गई कि वह शव उसी गुमशुदा महिला का था।”

मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी और आरोपी से गहन पूछताछ की। पुलिस ने घटना से जुड़े सबूत जुटाने के लिए घटनास्थल का दौरा किया और सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की। आरोपी के खिलाफ बलात्कार और हत्या के तहत मामला दर्ज किया गया।

इसके अलावा, पुलिस ने घटना के संबंध में कई अन्य लोगों से भी पूछताछ की, जिससे मामले की तह तक जाने की कोशिश की गई। अदालत में मामले को प्रस्तुत किया गया, जहां आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मृतिका के परिवार और स्थानीय समुदाय ने मामले की त्वरित सुनवाई और न्याय की मांग की है। पुलिस और प्रशासन की ओर से मामले में सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।

आरोपी का बयान क्या है?

आरोपी धर्मेंद्र कुमार ने पुलिस पूछताछ के दौरान अपना जुर्म कबूल किया है। उसके बयान के अनुसार, उसने 30 जुलाई की रात को नर्स को अकेला पाकर उसका रास्ता रोका और उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब नर्स ने इसका विरोध किया, तो उसने उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी ताकि वह पकड़ा न जाए।

आरोपी ने पुलिस को बताया कि घटना के बाद उसने शव को छिपाने के लिए उसे गांव के एक खाली प्लॉट में झाड़ियों के बीच फेंक दिया। उसने खुद को पुलिस से बचाने के लिए छिपने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने सबूतों और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया।

आरोपी का यह बयान पुलिस जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा बना और उसी के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

पुलिस जांच में देरी क्यों?

पुलिस जांच में देरी के कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, घटना के बाद सुरागों का अभाव हो सकता है, जिससे शुरुआती जांच में बाधा आई हो। दूसरा, मृतिका के लापता होने के बाद उसके सही स्थान का पता लगाने में समय लग सकता है, खासकर जब वह अलग-अलग स्थानों पर देखी गई हो।

इसके अलावा, घटना के बाद आरोपी ने खुद को छिपाने की कोशिश की होगी, जिससे उसे पकड़ने में समय लग गया। पुलिस को साक्ष्य जुटाने और आरोपी तक पहुंचने के लिए अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता पड़ी हो सकती है। ऐसे मामलों में, सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा, गवाहों से पूछताछ, और फोरेंसिक जांच में भी समय लग सकता है।

जांच की धीमी गति के कारण मृतिका के परिवार और स्थानीय समुदाय में नाराजगी हो सकती है, और इस कारण पुलिस पर दबाव भी बढ़ा कि वे जल्द से जल्द मामले को सुलझाएं।

निष्कर्ष

उत्तराखंड की नर्स का यह दुखद मामला महिलाओं के खिलाफ हिंसा को संबोधित करने में सतर्कता और त्वरित कार्रवाई की महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करता है। धर्मेंद्र कुमार द्वारा किया गया यह घिनौना अपराध यह दर्शाता है कि महिलाओं को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगातार खतरे का सामना करना पड़ता है। हालांकि प्रारंभिक जांच में देरी और चुनौतियों के बावजूद, पुलिस की आरोपी को पकड़ने और न्याय सुनिश्चित करने की कोशिश सराहनीय है।

यह घटना समाज के लिए एक कड़वी याद दिलाती है कि मजबूत कानूनी और सहायता प्रणाली की आवश्यकता है ताकि व्यक्तियों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही, समुदाय की सतर्कता और त्वरित रिपोर्टिंग की भूमिका भी महत्वपूर्ण है ताकि ऐसे अत्याचारों को रोका जा सके। जैसे हम इस मामले पर विचार करते हैं, यह आवश्यक है कि समाज एकजुट होकर कठोर कानून, प्रभावी प्रवर्तन, और महिलाओं के प्रति अधिक सम्मान और सुरक्षा की दिशा में सांस्कृतिक बदलाव की मांग करे। परिवार की न्याय की खोज एक व्यापक कॉल है कि भविष्य की त्रासदियों को रोकने और प्रत्येक पीड़ित को वह न्याय देने के लिए प्रणालीगत बदलाव की आवश्यकता है।

 

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